Tuesday, July 29, 2014

Love of Money, रूपये का लोभ

 Now godliness with contentment is great gain.  For we brought nothing into this world, and it is certain we can carry nothing out. And having food and clothing, with these we shall be content. But those who desire to be rich fall into temptation and a snare, and into many foolish and harmful lusts which drown men in destruction and perdition.  For the love of money is a root of all kinds of evil, for which some have strayed from the faith in their greediness, and pierced themselves through with many sorrows.

1 Timothy 6:6-10

पर सन्तोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है।
क्योंकि न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं।
और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए।
पर जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा, और फंदे और बहुतेरे व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा देती हैं।
क्योंकि रूपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए कितनों ने विश्वास से भटक कर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है॥ 

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